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हरिहरपुरी की कुण्डलिया



हरिहरपुरी की कुण्डलिया


जीवन को आसान कर, कामवासना त्याग।

परहित कर्मों  के लिये, मन में हो अनुराग।।

मन में हो अनुराग, काम को नित्य भगाओ।

सेवा भाव प्रवृत्ति, हृदय में सहज जगाओ।।

कहें मिसिर कविराय,रहे निर्मल चेतन मन।

मानव का कल्याण, करे सारा यह जीवन।।


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1 Comments

Muskan khan

09-Jan-2023 05:57 PM

Nice

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