डॉ. रामबली मिश्र
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हरिहरपुरी की कुण्डलिया
जीवन को आसान कर, कामवासना त्याग।
परहित कर्मों के लिये, मन में हो अनुराग।।
मन में हो अनुराग, काम को नित्य भगाओ।
सेवा भाव प्रवृत्ति, हृदय में सहज जगाओ।।
कहें मिसिर कविराय,रहे निर्मल चेतन मन।
मानव का कल्याण, करे सारा यह जीवन।।
Muskan khan
09-Jan-2023 05:57 PM
Nice
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Muskan khan
09-Jan-2023 05:57 PM
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